कभी-कभी हमारे आपके जीवन में कुछ ऐसी घटनाएं घट जाती हैं जो सालों बाद भी याद रहती हैं। जब भी याद ताजा होती है तो हंसी आती है। हंसी इस बात पर भी आती है कि लोग चीजों को किस किस नजरिए से देखते हैं।
नहीं नहीं मैं सिर्फ यह बात कहने जा रही हूं कि जैसे आज-कल चलन है कि बात बात में लोग गिफ्ट देते हैं।यह एक फैशन सा हो गया है। उपहार देना, शगुन देना।
आजकल अंग्रेजी हिसाब से गिफ्ट देना तो अत्यावश्यक बात हो गई है।अगर आप किसी के यहां जा रहे हैं और गिफ्ट नहीं लेकर जा रहे हैं तो लोग अजीब सा मुंह बना लेते हैं। अरे यह तो खाली हाथ चले आए हैं। लिफाफा देखकर भी लोग खुश हो जाते हैं।
लेकिन गिफ्ट की बात कुछ और ही होती है। लगता है कि कोई हमारे लिए कुछ लिया है, खरीदा है, पसंद किया है। उसका मनोभाव रहा होगा। उसके मन में मेरे लिए कितना खयाल आया होगा।
बचपन में एक कहावत सुनी थी कि दान की बछिया के दांत नहीं गिने जाते हैं। नहीं यहां गिफ्ट दान तो नहीं है। यह तो आदान-प्रदान है। दान तो वह होता है कि एक हाथ से दे तो दूसरे हाथ को भी ना पता चले।
गिफ्ट एक तरह का आदान-प्रदान होता है। आदमी उम्मीद से देता है कि मैं इनको दे रहा हूं तो कल को यह भी मुझको वापस करेंगे।
हां यह बात तो ठीक है अगर लिया है तो देना तो चाहिए। तो हंसी किस बात की है। कई बार हम आप सभी लोग इस स्थिति से गुजरते हैं कि जब हमारे यहां लोग किसी मौके पर गिफ्ट ले करके आते हैं ऐसे ऐसे गिफ्ट ले आते हैं तो यह समझ में नहीं आता कि आखिर अब इसका करें तो करें क्या ???
यह या यूं कहिए कि अब किसके गले लगाया जाए हां उन्होंने भी गले लगाने के लिए ही यह हमारे पास पहुंचा दिया है।
कई बार होता है कि जिस तरह से यह दुनिया गोल है उसी तरह से गिफ्ट भी गोल गोल घूमते घूमते उसी के घर में पहुंच जाता है।जहाँ से चला होता है।
हालांकि यह बात किसी का मजाक उड़ाने के लिए नहीं कही जा रही है और ना तो किसी व्यक्ति विशेष को इसके लिए इंगित किया जा रहा है।
समाज का नजरिया इस तरह से बन गया है। हालांकि सभी लोग ऐसा नहीं करते हैं। बहुत सारे लोग ऐसे होते हैं जो इस भाव से ही गिफ्ट देते हैं कि वास्तव में उनकी दी हुई कोई छोटी सी छोटी चीज भी प्यार और मन से आपके लिए लेकर आते हैं, कि वह उस रूप में आपको पसंद आ ही जाती हैं।
लेकिन कई बार हमने देखा है कि कुछ ऐसे लोग जिनसे आप कभी अपेक्षा भी नहीं कर सकते हैं और वह आपके घर ऐसे गिफ्ट देकर जाते हैं जिसको लेने के बाद आप को यह समझ में नहीं आता कि आप किसको दें???
किसको दें?? मतलब अगर आप अपनी कामवाली को भी दें तो यह लगता है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि किसी का मजाक बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
मेरे साथ भी एक बार ऐसी घटना घट चुकी है। उससे मुझे याद आया कि थोड़ा हंसना तो बनता है।
करोड़पति कैसरोल वाली -- किसी खास सहेली ने मेरे एक बहुत मौके पर मुझे कैसरोल सेट गिफ्ट में दिया।
बड़ी अच्छी पैकिंग कराकेे। भगवान की दया से बहुत पैसे वाले लोग भी थे। घर में बहुत सारे लोग घर में इकट्ठा थे। तो उसमें से मेरी एक रिश्तेदार ने कहा कि आप बाकी काम में लगी हुई हैं तो हम गिफ्ट खोलने का काम कर लेते हैं।और किसने क्या दिया है,यह भी नोट कर लेते हैं। पहली बार मुझे लगा कि गिफ्ट भी लिखा जाता है।उन्होंने कहा कि आपको भी सबको वापस करना होगा। मैंने कभी ऐसा नहीं सोचा कि बदले में मुझे देना है।मुझे तो जो अच्छा लगता है मैं उपहार के रूप में देती हूँ।बिना कोई मोल भाव सोचे हुए।
मैंने अपनी रिश्तेदार से कहा कि आप यह काम कर लें। तो उन्होंने सारे गिफ्ट में से सबसे पहले मेरी करोड़पति दोस्त का पैकेट खोला। तो उसमें से कैसरोल का सेट निकला। सभी का मुंह खुला का खुला रह गया। अरे यह क्या यह कोई गिफ्ट है??? मैंने कहा ऐसा नहीं कहते लेकिन सारे लोग निराश हो गए क्योंकि उनके यहां हर मौके पर मैने बहुत अच्छी चीजें गिफ्ट में दी थी।
अब दूसरा झटका लगा कि जैसे कैसरोल बाहर निकालने लगी उसमें से कुछ टूट कर गिरा मेरी रिश्तेदार बोली, दीदी यह तो टूटा है। मैंने कहा ऐसा नहीं होगा क्योंकि मैं हमेशा कुछ खास ब्रांड का ही कैसरोल लेती हूं। जो सालों साल चलता है। पर जब देखा तो कोई लोकल और बहुत घटिया क्वालिटी का सेट था और शायद बहुत दिनों से रखा था तो प्लास्टिक खराब हो गया था। वहां उपस्थित सभी लोग मजाक बना कर हंसने लगे। मुझे भी खराब लगा कि ऐसा गिफ्ट देने की क्या मजबूरी थी कि सबके बीच उपहास का केंद्र बनीं ।
अब आगे यह समस्या थी कि उसका मैं क्या करूं ???तो मेरी कामवाली बोली, भाभी हमें दे दीजिए हमारे काम आ जाएगा। हालांकि मैं जानबूझकर कभी किसी को ऐसी वस्तु नहीं देती हूं पर फेंकने से अच्छा लगा उसको दे दिया जाए। पर दो दिन बाद ही वह शिकायत लेकर आईं कि भाभी इससे अच्छा तो कटरा की मंगलवार वाली बाजार में भी मिल जाता है। मैंने कहा तुम नाराज मत हो।
तुम्हें पता था कि यह टूटा है फिर भी तुम अपनी मर्जी से लेकर गई थी। खैर बदले में वह मेरा पुराना कैसरोल मांग कर ले गई।
यह घटना घटे 4 साल बीत चुका है और अभी भी मेरे रिश्तेदार फोन कर पूछ लेते हैं कि करोड़पति कैसरोल वाली कैसी हैं??? और मुस्कुराने के सिवा मैं कुछ नहीं बोलती। यह तो मेरी आपबीती है। और शायद आप सब भी कभी-कभार ऐसी बातों से दो-चार होते होंगे। तो यह जरूरी नहीं है कि आप किसी मौके पर गिफ्ट दें। प्यार और अपनेपन से बड़ा कोई गिफ्ट नहीं होता है।
लेकिन इस तरह का गिफ्ट ना दें कि आप स्वयं ही उपहास के पात्र बन जाए।
किसी के देने से किसी का काम नहीं चलता है। बस यह तो एक प्रेम भाव प्रदर्शित करता है। तो हम सब इस बात का ध्यान रखें कि प्रेम की जगह अपमान नहीं दिखना चाहिए। ना देने वाले का और ना ही लेने वाले का।
अपने घर में पड़े सामान को सधाने के लिए चमकीले पेपर में लपेटकर अपने घर का कबाड़ दूसरे के घर में नहीं फेंकना चाहिए।
इससे तो अच्छा है कि आप मधुर मुस्कान का गिफ्ट देकर खुद भी खुश रहो और दूसरे को भी खुश कर दो और वही अनमोल उपहार है।
धन्यवाद...
वरिष्ठ समाजसेवी, अधिवक्ता एवं लेखिका
डॉ. कुसुम पांडेय
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