"चीन के खिलाफ, सारा देश हमारा है"

एक तरफ चाइना द्वारा देश की सुरक्षा पर आघात करना और दूसरी तरफ अपने ही देश के विपक्ष के शीर्ष नेता द्वारा प्रधानमंत्री के लिए ओछे शब्दों का प्रयोग करना अत्यंत शर्मनाक बात है। ऐसे समय में जब देश के सभी लोग एकजुट हैं,  विपक्ष अलग ही राग अलाप रहा है।
सही बात है बिना संस्कार का व्यक्ति किसी का सम्मान नहीं कर सकता, यह लोग अपने को देश का सबसे बड़ा कर्णधार मान बैठे हैं। उनका मानना सही भी है क्योंकि जब कोई चीज बिना मेहनत के मिल जाती है तो ना तो उसकी कदर होती है और ना ही पाने वाले की काबिलियत सिद्ध होती है।
आजादी से लेकर लम्बे समय तक एक ही पार्टी ने देश पर राज किया।
अरे भाई 65 सालों तक देश पर शासन करने वाली विपक्ष का इस तरह की बात करना शोभा नहीं देता है। मेरी तो विपक्ष को नेक सलाह है कि वह स्वयं ही सीमा पर जाकर शहीद जवानों की शहादत का बदला ले लेते।
आज सर्वदलीय बैठक का सम्मान करते हुए सभी को चाहिए कि वह देश हित में क्या उचित है इसके बारे में चर्चा करें, क्योंकि सही मायने में तो देश विपक्ष की गलतियों की सजा पा रहा है। लेकिन आज इस पर चर्चा करने का सही समय नहीं है क्योंकि यह टकराव दुनिया में हमारे देश की छवि खराब करता है और इसी का फायदा पड़ोसी देश उठाते हैं।
 अभी तो हमारा एक ही नारा है चीन के खिलाफ सारा देश हमारा है। धन्यवाद
 
डॉ. कुसुम पांडेय
वरिष्ठ समाजसेवी एवं लेखिका 

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