आचार्य श्रीकान्त शास्त्री, वरिष्ठ पत्रकार
देश में आम चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक सरगर्मियां बड़ने लगी है और हर पार्टिया अपनी अपनी रोटी सेकने के जुगाड़ में लग गए हैं, भाजपा तीसरी बार सत्ता में आने के लिए हर प्रकार का जुगाड़ लगाना शुरू कर दिया है इसी क्रम में भाजपा किसी भी कीमत पर अपने सहयोगी दलों की संख्या बढ़ाना चाहती है और बढ़ा भी रही है जिसके लिए वह हर प्रकार के साम दाम दंड भेद का प्रयोग कर रही है। हाल ही में भाजपा द्वारा एनसीपी को तोड़फोड़ कर मुखिया के भतीजे अजित पवार को एवं उत्तर प्रदेश में करवट बदल लेता ओमप्रकाश राजभर व इनके कुनबे को व दारा सिंह चौहान को शामिल करके मोदी ने कमजोर होती अपनी सरकार को तुरंत में संजीवनी दे दिया। इसी के साथ 2024 के चुनाव के लिए अपने विपक्षियों को जोरदार झटका भी दे दिया।
2024 के चुनाव के लिए भाजपा की सभी विपक्षी पार्टियां जिस प्रकार से अभी तक केवल यह बताने में लगे हुए हैं की हम लोग एक है जबकि देखने में एकदम उल्टा है और इनका अभी तक न तो कोई एजेंडा तय हो पाया है और न ही कुर्सी का मोह छोड़ पाया है इस प्रकार के अनसुलझी रणनीति के आधार विपक्षी पार्टियां 2024 के आम चुनाव को कैसे फतह कर पाएंगे यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
इससे पहले जिस प्रकार से भाजपा ने मध्य प्रदेश एवं गोवा सहित अन्य प्रदेश में अपनी कुशल इंजीनियरिंग के बल पर अपनी सरकार बना ली थी। उस समय चाणक्य नीति के माहिर बताए जा रहे थे, वही जिस प्रकार से भाजपा द्वारा सारी ताकत झोंकने के बाद भी उसकी कर्नाटक में शर्मनाक हार हुई जिससे उनकी रणनीति और योजना धरी की धरी रह गई। जनता ने स्पष्ट रूप से बता दिया कि जनता में न तो किसी की रणनीति चलती है और न ही कोई योजना, जिसका कर्नाटक चुनाव जीता जागता उदाहरण है।
भाजपा पिछले दो बार अपने सहयोगी दलों के साथ सरकार बनाई थी और इस बार भी लोकसभा की जीत की तैयारी में जुटी हुई है। अपनी विजय के लिए भाजपा के शीर्ष नेता से लेकर बुथ का कार्यकर्ता लग गए हैं इसी का नमूना एवं उदाहरण है कि भाजपा सभी मजबूत दलों को अपने साथ लेकर 2024 के लोकसभा चुनावों में अपनी सभी विपक्षी पार्टियों को पटकनी देने की रणनीति बना ली है।
सूत्र यह भी बता रहे हैं कि अब भाजपा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रमुख राजनीतिक दल राष्ट्रीय लोकदल को अपने साथ मिलाने में करीब-करीब कामयाब हो चुकी है।
विश्वस्त सूत्रों की ओर से यह भी जानकारी मिल रही हैं कि जुलाई के पहले सप्ताह में जयंत चौधरी एवं भाजपा के चाणक्य अमित शाह से मुलाकात हो चुकी है, यह भी जानकारी मिल रही है कि भाजपा इसके बदले में जयंत को केंद्र में मंत्री या यूपी में उप मुख्यमंत्री पद दे सकती है। जानकारों की माने तो रालोद जिस सात लोकसभा क्षेत्र में अपना प्रभाव रखती उसी सातों सीट को मांग रही है जिसको अमित शाह ने ठुकरा दिया है और विचार करने को कहा है। फिरहाल रालोद और सपा में दरार पड़नी शुरू हो गई है। कुल मिलाकर भाजपा अपने रणनीति के बल पर पुनः सरकार बनाने जा रही और उसके सभी विपक्षी पार्टियां केवल अपनी एकजुटता दिखाते और बताते रहेंगे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)
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