माघ माह मे प्रयागराज (गंगा, जमुना, त्रिवेणी) संगम सहित पवित्र नदियों में स्नान और पूजा अर्चना से मिलती है सुख-शान्ति एवं आनन्द की प्राप्ति। "आचार्य श्रीकान्त शास्त्री, वरिष्ठ पत्रकार"

 माघ मास की महिमा...


आचार्य श्रीकान्त शास्त्री, वरिष्ठ पत्रकार"




हिंदू पंचांग के मतानुसार ग्यारहवाँ माह को पवित्र माघ मास कहा जाता है, जो इस बार पौष पूर्णिमा 6 जनवरी से ही प्रारम्भ हो गया है एवं 14 जनवरी को (मकर संक्रांति), 21 जनवरी (मौनी अमावस्या), 26 जनवरी (बसंत पंचमी), 5 फरवरी (माघी पूर्णिमा) के साथ यह माघ महात्म्य कल्पवासियों एवं तीर्थयात्रियो के लिए 18 फरवरी (महाशिवरात्रि) तक रहता है। वैसे तो मां गंगा, जमुना एवं सरस्वती के त्रिवेणी संगम के महात्म के अनुसार महाशिवरात्री तक के स्नान का बडा महत्व है। धार्मिक ग्रन्थो के अनुसार माघ का महीना पहले भगवान माधव के सूक्ष्म नाम "माध" का महीना के रूप में जाना जाता था, जो कालन्तर से अब तक पवित्र माघ माह के नाम से प्रसिद्ध रूप से चलता चला आ रहा हैं।


भगवान "माधव" (माध) शब्द का वास्ता भगवान श्री कृष्ण जी से है। इस माह को धार्मिक दृष्टि से बहुत ही पवित्र माना जाता है। माघ महीने में ढेर सारे हिन्दू धार्मिक पर्व आते हैं, साथ ही साथ प्राकृतिक अनुकूलता भी आने लगती है। इस माह में संगम/त्रिवेणी मे जप तप के साथ संत महात्मा गृहस्थ आदि लोग एक माह के लिए "कल्पवास" भी करते है। इस कार्य से सभी के जीवन में एक नया संचार होता है एवं शरीर और आत्मा शुद्ध हो जाती हैं।


माघ मास में सभी पवित्र नदियों में स्नान-दान, पूजा-अर्चना एवं वस्त्र दान करने वाला व्यक्ति अत्यन्त पुण्य का भागीदारी होता है। पवित्र हिन्दू धार्मिक ग्रन्थो एवं मनिषियो के अनुसार यह भी बताया गया है कि ऐसा करने से मनुष्य को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। इस माह में शुक्ल पंचमी से बसंत ऋतु का भी आरंभ होता है।


हिंदू धार्मिक ग्रंथो, पद्मपुराण, पूज्य साधु-संतों के मतानुसार माघ मास के माहात्म्य का वर्णन करते हुए कहा गया है कि पूजा अर्चना करने से भी भगवान श्रीहरि जी को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी कि पवित्र माघ महीने में स्नान-दान से होती है। सभी पापों से मुक्ति के लिए और भगवान श्री वासुदेव जी के प्राप्ति के लिए सभी मनुष्य को माघ स्नान करना चाहिए। इस माह में प्रतिदिन प्रातः भगवान् श्री कृष्ण जी को पीले फूल और पंचामृत अर्पित करने एवं "मधुराष्टक" का पाठ करने व हर दिन किसी निर्धन व्यक्ति को भोजन कराने, वस्त्र दान करने का बडा महत्व है। स्वयं में यदि सम्भव हो तो एक ही समय भोजन करें। ऐसा करने से आपके जीवन व आपके परिवार, इष्ट मित्रों नात रिश्तेदारों में सुख- शांति आएगी।


माघ मास के प्रारंभ की पूर्णिमा (जिसको पूषी पूर्णिमा कहा जाता है) से लगातार जो व्यक्ति एक माह तक ब्रह्मावैवर्तपुराण का दान करता है, उसे ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है। साथ ही माघ माह में ब्रह्मवैवर्तपुराण या माघ महात्म्य की कथा सुनना एवं स्नान, दान, उपवास और भगवान माधव की पूजा बहुत ही पुण्यदायी होती है।


माघ मास के पर्व मकर संक्रांति, महापर्व मौनी अमावास्या, बसंत पंचमी, अचला सप्तमी एवं महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर तीर्थराज प्रयाग में स्नान-दान, पूजा-अर्चना, त्याग-तपस्या करने से अत्यधिक पुण्य की प्राप्ति होती हैं। ऐसा करने वाला व्यक्ति पापों से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति करता है। महाभारत में भी माघ मास का बहुत ही महत्वपूर्ण ढंग से वर्णन किया गया है कि जो व्यक्ति तपस्वियों को तिल के साथ वस्त्र, अन्न आदि का दान करता है, वह व्यक्ति सीधा स्वर्ग की प्राप्ति करता है। साथ ही जो व्यक्ति माघ मास की द्वादशी तिथि को दिन-रात उपवास करके भगवान श्री माधव की पूजा उपासना करता है वह व्यक्ति राजसूर्य यज्ञ का फल प्राप्त करता है।

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