ऐप्रवा परिवार ने मनाया धूमधाम से हिंदी पत्रकारिता दिवस।

 


 ऑल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से पत्रकारो ने हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर विचार व्यक्त करते हुए धूमधाम से मनाया। एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार आचार्य श्रीकांत शास्त्री ने सभी पत्रकारों को हिन्दी पत्रकारिता दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि सकारात्मक पत्रकारिता से ही समाज को नई दिशा और दशा प्रदान की जा सकती है। उन्होंने कहा कि दुनिया में पत्रकारिता आज भी जज्बें का काम माना जाता है। ऐप्रवा की ओर से संंजय सिंह ने कहा कि जंगे आजादी की लड़ाई में पत्रकारिता ने संघर्ष को अंजाम तक पहुंचाने में सहयोग दिया था। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता में आ रही चुनौतियों का सामना पत्रकारों को निर्भीकता के साथ करना होगा। ऐप्रवा की ओर से अभय शंकर पाण्डेय ने कहा कि मूल्यों का ह्रास होने से आज पत्रकारिता की तकलीफें बढ़ने लगी है। वर्तमान दौर में पत्रकारिता की कमजोरियों को दूर कर आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ना होगा।


30 मई  हिंदी पत्रकारिता के लिए बहुत महत्वपूर्ण दिन है। वैसे तो पत्रकारिता में बहुत सारे गौरवशाली और यादगार दिन हैं, लेकिन 195 साल पहले भारत में पहला हिंदी भाषा का समाचार पत्र 30 मई को ही प्रकाशित हुआ था। इसके पहले प्रकाशक और संपादक स्व. पं. जुगल किशोर शुक्ला का हिंदी पत्रकारिता के जगत में विशेष स्थान है।


स्व. पं. जुगल किशोर शुक्ला ने कलकत्ता से 30 मई को ही "उदन्त मार्तण्ड  नाम का एक साप्ताहिक समाचार पत्र के तौर पर शुरू किया था। शुरु से ही हिंदी पत्रकारिता को बहुत चुनौतियों का सामना करना पड़ा। समय के साथ इनका केवल स्वरूप बदला, लेकिन तमाम चुनौतियों के साथ ही हिंदी पत्रकारिता आज ने वैश्विक स्तर पर अपने उपस्थिति दर्ज कराई है।


हिन्दी पत्रकारिता की शुरुआत बंगाल से हुई थी, जिसका श्रेय राजा राममोहन राय को दिया जाता है। स्व. पं. जुगल किशोर शुक्ला जी ने कलकत्ता के कोलू टोला मोहल्ले की आमड़तल्ला गली से उदंत मार्तंड के प्रकाशन की शुरुआत की थी। उस समय अंग्रेजी, फारसी और बांग्ला में पहले से ही काफी समाचार पत्र निकल रहे थे, लेकिन हिंदी में एक भी समाचार पत्र नहीं निकल रहा था। यह समाचार पत्र लगभग एक वर्ष तक ही प्रकाशित हो सका, तत्कालीन ब्रिटिश सरकार का सहयोग न मिलने  एवं आर्थिक तंगी के कारण बंद हो गया। 

कार्यक्रम में ऐप्रवा परिवार की ओर से बी.डी पांडेय मिथिलेश वर्मा, विनय प्रकाश तिवारी, अमित पाठक, आशीष जाससवाल, मुकेश कुमार गुप्ता, दिलीप चंद्र पांडेय, संदीप समीर तिवारी आदि लोग उपस्थित रहे।

*समय का चक्र*


वक्त भी अजीब चीज है

वक्त के साथ ढल गये 

हम तो घर में रुक गए

तुम भी घर में ही रुक जाओ


वक्त है अजीबोगरीब

तन्हा रहना है जरूरी

पर अपनों की सुरक्षा के लिए

ध्यान भी देना पड़ता है

शादी और शहनाई से भी

अब तो दूर ही रहना पड़ता है


आते हैं निमंत्रण तो अवश्य करो स्वीकार

पर जाना जरूरी नहीं है इसका भी करो विचार


यह कैसी आपदा आई है

नहीं... यह तो हमारी ही लापरवाही है


साल बीत गया पर हम सोते ही रहे

मास्क को मजाक ही समझते रहे


जो लोग नियमों का पालन कर रहे थे

बहुतेरे तो बस अपनी नजरों से उन्हें

घूर ही रहे थे

कैसा विचित्र भाव था

पर अब लगता है

वही तो सही था


हर बार जनता ने

खुद नासमझी दिखाई है

अपनी गलती दूसरे के सिर पर डालकर


अपनी जिम्मेदारी से फुर्सत पाई है


पैसे और अमीर बनने की इच्छा ही ने

सारी फजीहत मचाई है....

दवा चोरी, ऑक्सीजन चोरी

सफेदपोशों की हर तरह की चोरी जारी है


उनके लिए तो महामारी

कमाई का जरिया बन कर आई है


हाहाकार मचा कर मीडिया ने भी चारो ओर

भ्रम और डर फैलाया है


प्रेस ने भी कहां समझदारी भरा फर्ज निभाया है

बस जीवन बिताये जा रहे हैं कमियां निकालने में


अच्छाई देखने वाली नजरों पर 

तो धूल से सना पर्दा चढ़ाया है


हर कोई बस आपदा को असर बना रहा है


झूठ से सना हुआ झूठा सच परोसा जा रहा है


बस जिम्मेदार लोगों को कोसा जा रहा है


आंकड़ों को भी झूठा साबित करने का आरोप लगाया जा रहा है


प्रेस और मीडिया भी अपने में मगन है


सिर्फ दिखावे के काम में संलग्न है


हाय हाय यही तो असली महामारी है


जिसमें गलती किसी और की 

और आरोप किसी और पर जारी है


यह कैसी महामारी है यह कैसी महामारी है


आरोप-प्रत्यारोपो का खेल

हर तरफ जारी है

हर तरफ जारी है


समय का चक्र चिंतनीय दिख रहा है


व्यक्ति अपनी ही कमियों से

रसातल में गिर रहा है।


वरिष्ठ समाजसेवी, अधिवक्ता एवं लेखिका

डॉ कुसुम पांडेय

सहयोगी दलों के सहयोग से एनडीए तीसरी बार भी अपनी नैया पार लगाने की फिराक मे।

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