A.I.P.R.W.A. ने लिखा मा. प्रधानमंत्री जी को पत्र!

 सेवा मे, 

श्री नरेंद्र मोदी जी

मा. प्रधानमंत्री महोदय

भारत सरकार, नई दिल्ली



विषय:- नेशनल जर्नलिस्ट रजिस्टर बनाने एवं देश के समस्त पत्रकारों को सुविधा व पेंशन के संबंध में।


आदरणीय महोदय,


सादर अनुरोध के साथ अवगत कराना है कि, जिस प्रकार से आपकी लोकप्रिय सरकार द्वारा देश मे विभिन्न स्वर्णिम नियम-कानून के तहत जनहितार्थ कार्य क्रांतिकारी ढंग से किया जा रहा है, उसी प्रकार से देश के समस्त पत्रकारों के सुविधा, सुरक्षा आदि के लिए नेशनल जर्नलिस्ट रजिस्टर बनाने के लिए एवं पेंशन देने के लिए निर्देश दे, जिससे पत्रकारों का भी कानूनी आधार पर परिभाषा तय हो सके, जो अभी तक मात्र नाम का चौथा स्तम्भ है  महोदय जी जिसको भी अन्य की भाँति सहानुभूति पूर्वक कानूनी मूर्त रूप देने की महान कृपा करें।


मा. महोदय आपकी जनप्रिय सरकार देश के विभिन्न क्षेत्रों में अमूलचूल परिवर्तन के साथ कार्य कर रही है जिससे पूरा देश लाभान्वित हो रहा है उसी प्रकार से पत्रकारों के उपरोक्त नियम लागू करवाने एवं उनके सुरक्षा के लिए बने कानून को भी सख्ती से लागू करवाने व सभी पत्रकारों का नियम कानून के तहत रिकॉर्ड बनवाने का आदेश दे जिससे देश के समस्त मीडियाकर्मी वास्तविक रूप से न्यायपूर्ण बिना किसी दबाव के अपना कार्य कर सके।


महोदय जी मीडिया जनता एवं सरकार के आंख व मुंह के रूप में कार्य करती हैं, और जनता की समस्या सरकार तक एवं सरकार की जनकल्याणकारी नीतियों को जनता तक पहुंचाती है जिसकी सराहना भी आप एवं आप की सरकार द्वारा बराबर किया जाता रहता है।


महोदय जी देश के कुछ राज्य सरकारे अपने-अपने प्रदेश के पत्रकारों को पेंशन दे रही हैं  लेकिन देश सभी प्रदेशों में ऐसा नहीं है, जो एक देश एक नियम कानून के विरुद्ध है, आपसे निवेदन है कि आपके द्वारा जिस प्रकार से किसान पेंशन, वृद्धा पेंशन, वन रैंक वन पेंशन, अटल पेंशन आदि दिया जा रहा है, उसी प्रकार से देश के समस्त पत्रकारों को भी पेंशन देने की महति कृपा करें।


अतः मा. महोदय जी आपसे विनम्र निवेदन है कि जिस प्रकार से डॉक्टरों, अधिवक्ताओं, प्रशासनिक अधिकारियों, पुलिस बलों, राजनीतिको, शिक्षकों आदि के लिए देश में एक नियम-कानून है उसी प्रकार से पत्रकारों के लिए भी एक नियम-कानून के तहत नेशनल जर्नलिस्ट रजिस्टर एवं तीनों स्तंभों की तरह चौथे स्तंभ को भी पेंशन आदि सुविधा के लिए आदेश देने की कृपा करें।




भवदीय

आचार्य श्रीकांत शास्त्री

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