बालिकाओं का अस्तित्व,
क्यों दिवस में समेटा जाए
समाज में असमानता का,
भाव क्यों बढ़ाया जाए
बालक बालिकाओं को
समान समझकर, समाज का
विकास क्यों न किया जाए
वर्तमान की आवश्यकता को,
दिवसों में ना समेटा
जाए
अपनी परंपराओं को, ईमानदारी से निभाया जाए
हर दिन बालिका दिवस है,
उत्सव के रूप में मनाया जाए
राष्ट्र की बालिकाओं के चेहरे पर,
हमेशा बनी रहे मुस्कान
तभी सही मायने में,
राष्ट्रीय बालिका दिवस का
होता रहेगा सम्मान
.
✍️डॉ. कुसुम पांडेय✍️
वरिष्ठ समाजसेवी, अधिवक्ता एवं लेखिका
📕📕📕📕📕📕📕📕📕📕📕