सहयोगी दलों के सहयोग से एनडीए तीसरी बार भी अपनी नैया पार लगाने की फिराक मे।

 

आचार्य श्रीकान्त शास्त्री, वरिष्ठ पत्रकार 


देश में आम चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक सरगर्मियां बड़ने लगी है और हर पार्टिया ‌अपनी अपनी रोटी सेकने के जुगाड़ में लग गए हैं, भाजपा तीसरी बार सत्ता में आने के लिए हर प्रकार का जुगाड़ लगाना शुरू कर दिया है इसी क्रम में भाजपा किसी भी कीमत पर अपने सहयोगी दलों की संख्या बढ़ाना चाहती है और बढ़ा भी रही है जिसके लिए वह हर प्रकार के साम दाम दंड भेद का प्रयोग कर रही है। हाल ही में भाजपा द्वारा एनसीपी को तोड़फोड़ कर मुखिया के भतीजे अजित पवार को एवं उत्तर प्रदेश में करवट बदल लेता ओमप्रकाश राजभर व इनके कुनबे को व दारा सिंह चौहान को शामिल करके मोदी ने कमजोर होती अपनी सरकार को तुरंत में संजीवनी दे दिया। इसी के साथ 2024 के चुनाव के लिए अपने विपक्षियों को जोरदार झटका भी दे दिया। 

2024 के चुनाव के लिए भाजपा की सभी विपक्षी पार्टियां जिस प्रकार से अभी तक केवल यह बताने में लगे हुए हैं की हम लोग एक है जबकि देखने में एकदम उल्टा है और इनका अभी तक न तो कोई एजेंडा तय हो पाया है और न ही कुर्सी का मोह छोड़ पाया है इस प्रकार के अनसुलझी रणनीति के आधार विपक्षी पार्टियां 2024 के आम चुनाव को कैसे फतह कर पाएंगे यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

इससे पहले जिस प्रकार से भाजपा ने मध्य प्रदेश एवं गोवा सहित अन्य प्रदेश में अपनी कुशल इंजीनियरिंग के बल पर अपनी सरकार बना ली थी। उस समय चाणक्य नीति के माहिर बताए जा रहे थे, वही जिस प्रकार से भाजपा द्वारा सारी ताकत झोंकने के बाद भी उसकी कर्नाटक में शर्मनाक हार हुई जिससे उनकी रणनीति और योजना धरी की धरी रह गई। जनता ने स्पष्ट रूप से बता दिया कि जनता में न तो किसी की रणनीति चलती है और न ही कोई योजना, जिसका कर्नाटक चुनाव जीता जागता उदाहरण है। 


भाजपा पिछले दो बार अपने सहयोगी दलों के साथ सरकार बनाई थी और इस बार भी लोकसभा की जीत की तैयारी में जुटी हुई है। अपनी विजय के लिए भाजपा के शीर्ष नेता से लेकर बुथ का कार्यकर्ता लग गए हैं इसी का नमूना एवं उदाहरण है कि भाजपा सभी मजबूत दलों को अपने साथ लेकर 2024 के लोकसभा चुनावों में अपनी सभी विपक्षी पार्टियों को पटकनी देने की रणनीति बना ली है।


सूत्र यह भी बता रहे हैं कि अब भाजपा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रमुख राजनीतिक दल राष्ट्रीय लोकदल को अपने साथ मिलाने में करीब-करीब कामयाब हो चुकी है। 

विश्वस्त सूत्रों की ओर से यह भी जानकारी मिल रही हैं कि जुलाई के पहले सप्ताह में जयंत चौधरी एवं भाजपा के चाणक्य अमित शाह से मुलाकात हो चुकी है, यह भी जानकारी मिल रही है कि भाजपा इसके बदले में जयंत को केंद्र में मंत्री या यूपी में उप मुख्यमंत्री पद दे सकती है। जानकारों की माने तो रालोद जिस सात लोकसभा क्षेत्र में अपना प्रभाव रखती उसी सातों सीट को मांग रही है जिसको अमित शाह ने ठुकरा दिया है और विचार करने को कहा है। फिरहाल रालोद और सपा में दरार पड़नी शुरू हो गई है। कुल मिलाकर भाजपा अपने रणनीति के बल पर पुनः सरकार बनाने जा रही और उसके सभी विपक्षी पार्टियां केवल अपनी एकजुटता दिखाते और बताते रहेंगे।


(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

पत्रकारों को भी लोक सेवक का दर्जा दे सरकार:- शास्त्री


{"जिस प्रकार से सरकारी अधिकारी/कर्मचारी अपने अपने योग्यता के अनुसार पद और वेतन पाकर सरकार के स्कीमों को जनता तक एवं जनता की समस्या को सरकार तक पहुंचाते हैं और इनको लोक सेवक का दर्जा दिया गया है। जबकि यही कार्य पत्रकार भी करते हैं जनता की आवाज को सरकार तक और सरकार की बातों को जनता तक पहुंचाते हैं और अपने योग्यता अनुसार संस्थान में पद और वेतन पाते हैं। इसके बावजूद पत्रकारों को लोक सेवक का दर्जा क्यों नहीं? उसी प्रकार से पत्रकारों को भी लोक सेवक का दर्जा दिया जाए।"} 


प्रयागराज, ऑल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन "ऐप्रवा" अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार आचार्य श्रीकान्त शास्त्री जी ने सरकार से मांग करते हुए कहा है कि सरकारे जिस प्रकार से अपने हितार्थ नियम कानून बनाकर अपना कार्य कर लेती हैं उसी प्रकार से पत्रकारों के निम्नलिखित विषयों पर भी कार्य किया जाये। (1) "पत्रकारों को चौथे स्तंभ का दर्जा देकर अधिसूचित किया जाए" (2) मीडिया कमीशन का पुनः पुनर्गठन हो (3) मीडिया प्रोटक्शन बिल लागू हो (4) प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की जगह मीडिया काउंसिल ऑफ इंडिया बनाया जाये (5) देश के हर प्रदेशों में निषप्क्ष रुप से प्रेस मान्यता समिति (6) विज्ञापन मान्यता समिति (7) पत्रकार बंधु का गठन हो (8) बिना भेदभाव के देश के सभी पत्रकारों को स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ दिया जाए (9) देश के सभी प्रदेशों में एक समान रूप से वरिष्ठ पत्रकार पेंशन योजना लागू हो (10) पत्रकारों को भी लोक सेवक का दर्जा दिया जाए (11) पोर्टर/यूट्यूब के पत्रकारों को भी अस्थाई रूप से मान्यता दिया जाए (12) कोरोना काल से बंद पत्रकारों के रेल रियायत सुविधा को बहाल किया जाए (13) देश के सभी जिलों के पत्रकारों को सस्ते दरों पर भवन/भूखंड दिया जाए (14) देश के सभी जिलों में सूचना भवन संकुल बनाया जाये (15) पत्रकारों के मामलों में किसी भी प्रकार से हिला हवालि न हो जिसके लिए एक हाई लेवल निगरानी कमेटी का जल्द गठन हो। यदि सरकार पत्रकारो के उपरोक्त मांगों को लागू करने में हीला हवाली अथवा देरी करती है तो ऐप्रवा परिवार देश भर में जन जागरण कर एक बड़ा आंदोलन करेगी।


शास्त्री जी ने सरकार पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि सरकारे पत्रकारों के मामलों में अनदेखीं करतीं चलीं आ रही है, उन्होंने बताया कि उल्लिखित सभी मांगों के सम्बन्ध में ऐप्रवा परिवार की ओर से दशको से जरिए रजिस्ट्री पत्र, ईमेल, सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री एवं सक्षम अधिकारियों से मांग किया जाता चला आ रहा हैं। लेकिन पत्रकारों की उपरोक्त विभिन्न मांगों को अभी तक ठंडे बस्ते में रखा गया है जो बहुत ही खेद का विषय है, जो समाज सबको उजाला दिखाता है एवं सब के न्याय की बात करता हो, उसी के साथ अन्याय हो और उसी को अंधेरा मे रख दिया गया है। यह बहुत ही खेद के विषय के साथ बहुत बड़ी विडम्बना है। यदि इसी तरह अनदेखी की गई तो, ऑल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन "ऐप्रवा" परिवार द्वारा जिस प्रकार से पीसीआई के गड़बड़ झाले के खिलाफ एवं उ.प्र. प्रेस मान्यता समिति के संबंध में न्यायालय का दरवाजा खटखटाया गया है उसी प्रकार से उपरोक्त सभी मांगों में भी न्याय पाने के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जायेगा। 





संगम की रेती पर लगा ऑल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन (ऐप्रवा) का "शिविर"



प्रयागराज। ऑल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन "ऐप्रवा" के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार आचार्य श्रीकान्त शास्त्री जी ने बताया कि मां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन तट पर "ऐप्रवा" का शिविर लगा हुआ है। जहां पर एक माह तक देशभर के पत्रकारों का समागम होगा और पत्रकारों के हितार्थ विभिन्न मुद्दों की रणनीति बनाई जाएगी।


श्री शास्त्री जी ने कहा कि संगम पर लगने वाला यह मेला, विश्व में भारत की धार्मिक, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से बड़ा  महत्त्व रखता है। दूर-दूर से श्रद्धालु आकर मेला क्षेत्र में रहकर एक महीने तक कल्पवास एवं पवित्र गंगा, यमुना, सरस्वती, त्रिवेणी में डुबकी लगाते हैं। ऐसे में पत्रकारों के इस प्रकार के  कार्यक्रमों का लाभ अधिक से अधिक पत्रकारों तक पहुंचना चाहिए। 


पत्रकारों के हितार्थ एवं उनके कल्याण व अधिकार के लिए ऐप्रवा परिवार द्वारा जन जागरूकता के लिए मेला शिविर से प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पत्रकारों को जोड़ने के लिए एवं उनके अधिकारों के बारे में उन्हें जागरूक करना, ऐप्रवा शिविर का उद्देश्य है। 

संगम की रेती पर माह भर आयोजित इस शिविर में  आंल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन "ऐप्रवा" परिवार की ओर से पत्रकारों के हितार्थ विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए एवं उसको मूर्त रूप देने के लिए कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। उल्लिखित मांगो पर बल देने के लिए शिविर लगाया गया है।

 शास्त्री जी ने सरकार से मांग करते हुए बताया है कि  जिस प्रकार से तीनों सेना को एक करके एक सीडीएस बनाया गया है उसी प्रकार से ताकि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवं पोर्टल, यूट्यूब मीडिया का भी हित संरक्षित हो सके। (१) प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की जगह मीडिया काउंसिल बनाया जाये। (२) सरकार जल्द पत्रकारों को चौथे स्तंभ का दर्जा देकर अधिसूचित करें। (३) सरकार मीडिया कमीशन का पुनर्गठन करे। (४) मीडिया प्रोटेक्शन बिल लागू हो। (५) देश के हर प्रदेशों में निषप्क्ष रुप से प्रेस मान्यता समिति, विज्ञापन मान्यता समिति, पत्रकार बंधु समिति का गठन हो। (६) बिना भेदभाव के देश के सभी पत्रकारों को स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ दिया जाए (७) देश के सभी प्रदेशों में एक समान रूप से वरिष्ठ पत्रकार पेंशन योजना लागू हो। (८) पत्रकारों के मामलों में हो रहीं देरी पर एक निगरानी कमेटी गठित हो। (९) पत्रकारों को भी लोक सेवक का दर्जा दिया जाए। यदि पत्रकारों के उपरोक्त मांगों में हीला हवाली एवं देरी की जाती है तो ऐप्रवा परिवार की ओर से देशभर में एक बड़ा आंदोलन के साथ साथ जन जागरण किया जाएगा।


शास्त्री जी द्वारा बताया गया है कि निम्न सभी मांगों के सम्बन्ध में ऐप्रवा परिवार दशको से जरिए रजिस्ट्री पत्र, ईमेल, सोशल मीडिया, समाचार पत्रों इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री एवं सक्षम अधिकारियों से मांग करता चला आ रहा हैं। लेकिन पत्रकारों की उपरोक्त  मांग को अभी तक ठंडे बस्ते में रखा गया है जो बहुत ही खेद का विषय है, जो समाज सबको उजाला दिखाता है उसी को अंधेरा मे रखा   

 गया है। अब  यदि उपरोक्त मांगों में अनदेखी होती है, तो ऐप्रवा परिवार द्वारा जिस प्रकार से पीसीआई के गड़बड़ झाले के खिलाफ एवं उ.प्र. प्रेस मान्यता समिति के संबंध में व पत्रकारों के अन्य समस्याओं के मामलों में  न्यायालय का दरवाजा खटखटाया गया है उसी प्रकार से उपरोक्त समस्याओं के सम्बन्ध में भी न्याय पाने के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जायेगा।

माघ माह मे प्रयागराज (गंगा, जमुना, त्रिवेणी) संगम सहित पवित्र नदियों में स्नान और पूजा अर्चना से मिलती है सुख-शान्ति एवं आनन्द की प्राप्ति। "आचार्य श्रीकान्त शास्त्री, वरिष्ठ पत्रकार"

 माघ मास की महिमा...


आचार्य श्रीकान्त शास्त्री, वरिष्ठ पत्रकार"




हिंदू पंचांग के मतानुसार ग्यारहवाँ माह को पवित्र माघ मास कहा जाता है, जो इस बार पौष पूर्णिमा 6 जनवरी से ही प्रारम्भ हो गया है एवं 14 जनवरी को (मकर संक्रांति), 21 जनवरी (मौनी अमावस्या), 26 जनवरी (बसंत पंचमी), 5 फरवरी (माघी पूर्णिमा) के साथ यह माघ महात्म्य कल्पवासियों एवं तीर्थयात्रियो के लिए 18 फरवरी (महाशिवरात्रि) तक रहता है। वैसे तो मां गंगा, जमुना एवं सरस्वती के त्रिवेणी संगम के महात्म के अनुसार महाशिवरात्री तक के स्नान का बडा महत्व है। धार्मिक ग्रन्थो के अनुसार माघ का महीना पहले भगवान माधव के सूक्ष्म नाम "माध" का महीना के रूप में जाना जाता था, जो कालन्तर से अब तक पवित्र माघ माह के नाम से प्रसिद्ध रूप से चलता चला आ रहा हैं।


भगवान "माधव" (माध) शब्द का वास्ता भगवान श्री कृष्ण जी से है। इस माह को धार्मिक दृष्टि से बहुत ही पवित्र माना जाता है। माघ महीने में ढेर सारे हिन्दू धार्मिक पर्व आते हैं, साथ ही साथ प्राकृतिक अनुकूलता भी आने लगती है। इस माह में संगम/त्रिवेणी मे जप तप के साथ संत महात्मा गृहस्थ आदि लोग एक माह के लिए "कल्पवास" भी करते है। इस कार्य से सभी के जीवन में एक नया संचार होता है एवं शरीर और आत्मा शुद्ध हो जाती हैं।


माघ मास में सभी पवित्र नदियों में स्नान-दान, पूजा-अर्चना एवं वस्त्र दान करने वाला व्यक्ति अत्यन्त पुण्य का भागीदारी होता है। पवित्र हिन्दू धार्मिक ग्रन्थो एवं मनिषियो के अनुसार यह भी बताया गया है कि ऐसा करने से मनुष्य को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। इस माह में शुक्ल पंचमी से बसंत ऋतु का भी आरंभ होता है।


हिंदू धार्मिक ग्रंथो, पद्मपुराण, पूज्य साधु-संतों के मतानुसार माघ मास के माहात्म्य का वर्णन करते हुए कहा गया है कि पूजा अर्चना करने से भी भगवान श्रीहरि जी को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी कि पवित्र माघ महीने में स्नान-दान से होती है। सभी पापों से मुक्ति के लिए और भगवान श्री वासुदेव जी के प्राप्ति के लिए सभी मनुष्य को माघ स्नान करना चाहिए। इस माह में प्रतिदिन प्रातः भगवान् श्री कृष्ण जी को पीले फूल और पंचामृत अर्पित करने एवं "मधुराष्टक" का पाठ करने व हर दिन किसी निर्धन व्यक्ति को भोजन कराने, वस्त्र दान करने का बडा महत्व है। स्वयं में यदि सम्भव हो तो एक ही समय भोजन करें। ऐसा करने से आपके जीवन व आपके परिवार, इष्ट मित्रों नात रिश्तेदारों में सुख- शांति आएगी।


माघ मास के प्रारंभ की पूर्णिमा (जिसको पूषी पूर्णिमा कहा जाता है) से लगातार जो व्यक्ति एक माह तक ब्रह्मावैवर्तपुराण का दान करता है, उसे ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है। साथ ही माघ माह में ब्रह्मवैवर्तपुराण या माघ महात्म्य की कथा सुनना एवं स्नान, दान, उपवास और भगवान माधव की पूजा बहुत ही पुण्यदायी होती है।


माघ मास के पर्व मकर संक्रांति, महापर्व मौनी अमावास्या, बसंत पंचमी, अचला सप्तमी एवं महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर तीर्थराज प्रयाग में स्नान-दान, पूजा-अर्चना, त्याग-तपस्या करने से अत्यधिक पुण्य की प्राप्ति होती हैं। ऐसा करने वाला व्यक्ति पापों से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति करता है। महाभारत में भी माघ मास का बहुत ही महत्वपूर्ण ढंग से वर्णन किया गया है कि जो व्यक्ति तपस्वियों को तिल के साथ वस्त्र, अन्न आदि का दान करता है, वह व्यक्ति सीधा स्वर्ग की प्राप्ति करता है। साथ ही जो व्यक्ति माघ मास की द्वादशी तिथि को दिन-रात उपवास करके भगवान श्री माधव की पूजा उपासना करता है वह व्यक्ति राजसूर्य यज्ञ का फल प्राप्त करता है।

Eight Supreme Court Judges To Retire In 202

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The Indian judiciary has long faced the issue of high vacancies across all levels (the Supreme Court, High Courts, and subordinate courts). Many argue that the vacancy of judges in courts is one of the reasons for delays and a rising number of pending cases. As 2022 draws to a close, there already exist six vacancies in the Supreme Court of India out of the sanctioned strength of 34. In this backdrop, it is pertinent to note that the number of vacancies in the Supreme Court is only set to increase as nine judges of the Apex Court are to retire in 2023. Provided below is the list of judges who will retire in 2023.


1. Justice S Abdul Nazeer : 04-01-2023


Justice S Abdul Nazeer is set to retire on 4th January, 2023. He was elevated as Judge of the Supreme Court of India on 17th February, 2017. Justice Nazeer was on the Constitution Bench which heard the batch of petitions challenging the decision taken by the Union Government six years ago to demonetise the currency notes of Rs. 500 and Rs.1000 denominations.


2. Justice Dinesh Maheshwari: 14-05-2023


Justice Dinesh Maheshwari, who took oath as Judge, Supreme Court of India on 18th January, 2019 is set to retire on 14th May, 2023. Before being elevated to the Supreme Court, Justice Maheshwari was the Chief Justice of the High Court of Meghalaya and later, the Chief Justice of High Court of Karnataka. He delivered the majority opinion in the EWS Quota case and upheld the 103rd Constitution Amendment reservation by stating that reservations structured singularly on economic criteria do not violate the basic structure of the Constitution.


3. Justice Mukeshkumar Rasikbhai Shah: 15-05-2023


Justice MR Shah is to retire on 15th May, 2023, just a day after Justice Dinesh Maheshwari's retirement. Justice Shah was elevated as a Judge of the Supreme Court of India on November 2, 2018. Prior to this, he was the Chief Justice of Patna High Court. Justice Shah was on the bench of the Apex Court which suspended the Bombay High Court's order discharging former Delhi University professor G N Saibaba and five others in alleged Maoist links case.


4. Justice KM Joseph: 16-06-2023


Justice KM Joseph, who was elevated to Supreme Court on 7th August, 2018, is set to retire on 16th June, 2023. Justice Joseph headed the Constitution Bench which heard the batch of petitions seeking an independent system to appoint Election Commissioners and also pleas challenging constitutionality of laws permitting Jalikattu, Kambala and bull-cart race in states like Tamil Nadu, Karnataka and Maharashtra.


5. Justice Ajay Rastogi: 17-06-2023


Justice Ajay Rastogi is set to retire the very next day after Justice Joseph, on 17th June, 2023. Justice Rastogi was elevated as Judge of the Supreme Court on 2nd November, 2018. Before this, he was the Chief Justice of the Tripura High Court and later the acting chief Justice of the Rajasthan High Court from 14th April, 2016 to 13th May, 2016. Justice Rastogi was on the bench that dismissed the review petition filed by Bilkis Bano seeking review of the May 2022 judgment which held that Gujarat Government had the jurisdiction to decide the remission applications of 11 convicts, who were sentenced to life for gangrape and murder during the 2002 Gujarat riots.


6. Justice V Ramasubramanian: 29-06-2023


The month of June marks three retirements in 2023 with Justice V Ramasubramanian retiring on 29th June 2023. Justice Ramasubramanian was appointed Judge of the Supreme Court of India on September 23, 2019. Before this, he was sworn in as the Chief Justice of Himachal Pradesh High Court on June 22, 2019. Justice Ramasubramanian was part of the Constitution Bench which heard the batch of petitions challenging the decision taken by the Union Government six years ago to demonetise the currency notes of Rs. 500 and Rs.1000 denominations.


7. Justice Krishna Murari: 08-07-2023


Justice Krishna Murari, whose term as a Judge of Supreme Court of India commenced on 23rd September, 2019, will retire on 8th July, 2023. Before becoming a judge of Supreme Court, Justice Krishna Murari was the Chief Justice of Punjab and Haryana High Court, Chandigarh.

Justice Ravindra Bhat is due to retire on 20 October, 2023. He was appointed as the Chief Justice of the High Court of Rajasthan on 05 May, 2019 and elevated as a Judge of the Supreme Court of India on 23 September 2019. Justice Bhat wrote a dissenting judgment to strike down the 103rd Constitution Amendment, which introduced 10% reservation for Economically Weaker Sections (EWS) in education and public employment.


8. Justice Sanjay Kishan Kaul: 25-12-2023


Justice SK Kaul, who was elevated as Judge of the Supreme Court of India on 17th February, 2017 is set to retire on 25th December, 2023. He was previously the Chief Justice of the Punjab and Haryana High Court and the Chief Justice of the Madras High Court. Justice Kaul was on the bench hearing a contempt petition filed by Advocates Association of Bangalore against Centre breaching the time line for judicial appointments. The bench led by him told the Central Government that the collegium system is the "law of the land" which should be "followed to the T".


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सीडीएस की तर्ज पर प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की जगह मीडिया काउंसिल बनाए सरकार:- शास्त्री

 

{"प्रेस काउंसिल आफ इंडिया की जगह मीडिया काउंसिल बनाए सरकार, ताकि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का भी हित संरक्षित हो सके"}


["पत्रकारों को चौथे स्तंभ का दर्जा देकर अधिसूचित किया जाए एवं मीडिया कमीशन का पुनः पुनर्गठन हो व मीडिया प्रोटक्शन बिल लागू हो।"]



प्रयागराज, ऑल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन "ऐप्रवा" के अध्यक्ष, वरिष्ठ पत्रकार आचार्य श्रीकान्त शास्त्री जी ने सरकार से मांग किया है और कहा जिस प्रकार से तीनों सेना को एक करके एक सीडीएस बनाया गया है उसी प्रकार से प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की जगह मीडिया काउंसिल बनाया जाये।


शास्त्री जी ने सरकार पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि सरकारे पत्रकारों के मामलों में अनदेखीं करतीं चलीं आ रही है जिस प्रकार से पत्रकारों को बिना लिखा पढ़ी कहने भर के लिए चौथा स्तंभ कहा जाता है लेकिन ऐसा है नहीं, यह बहुत ही खेद का विषय है और इससे भद्दा मजाक भी नहीं हो सकता, सरकार जल्द पत्रकारों को चौथे स्तंभ का दर्जा देकर अधिसूचित करें" एवं मीडिया कमीशन का पुनर्गठन कराए और साथ ही मीडिया प्रोटेक्शन बिल लागू हो अन्यथा की स्थिति में [ऑल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन] "ऐप्रवा" परिवार की ओर से देशभर में बड़ा आंदोलन के साथ जन जागरण किया जाएगा।


शास्त्री जी द्वारा पुनः बताया गया है कि निम्न सभी मांगों के सम्बन्ध में ऐप्रवा परिवार की ओर से दशको से जरिए रजिस्ट्री पत्र, ईमेल, सोशल मीडिया, समाचार पत्रों इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री एवं सक्षम अधिकारियों से मांग करता चला आ रहा हैं। लेकिन पत्रकारों की इस मांग को अभी तक ठंडे बस्ते में रखा गया है जो बहुत ही खेद का विषय है, जो समाज सबको उजाला दिखाता है उसी को अंधेरा मे रख दीया गया है। यदि इसमे अनदेखी की गयी तो, जिस प्रकार से पीसीआई के गड़बड़ झाले के खिलाफ एवं उ.प्र. प्रेस मान्यता समिति के संबंध में व पत्रकारों के अन्य समस्याओं के मामलों में जिस प्रकार से ऑल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन परिवार द्वारा न्यायालय न्यायालय का दरवाजा खटखटाया गया है उसी प्रकार से इसमें भी न्याय पाने के लिए ऐप्रवा परिवार न्यायालय का दरवाजा खटखटायेगा।

पत्रकारों की योग्यता निर्धारित करवाने के सन्दर्भ में भारतीय प्रेस परिषद में एक महत्वपूर्ण बैठक का निर्धारण

 चिकित्सकों, अधिवक्ताओं के तर्ज पर पत्रकारों के भी योग्यता निर्धारित करने के लिए PCI में विचार मंथन शुरू:-


आंल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष, वरिष्ठ पत्रकार आचार्य श्रीकांत शास्त्री ने कहा, वकालत के पेशे में एलएलबी की डिग्री के साथ बार काउंसिल में पंजीकरण जरूरी होता है। इसी तरह मेडिकल पेशे में एमबीबीएस होना जरूरी योग्यता है और साथ में मेडिकल काउंसिल में पंजीकरण भी कराना होता है लेकिन पत्रकारिता के क्षेत्र में ऐसा कुछ भी नहीं है। पत्रकारों के पंजीकरण एवं योग्यता निर्धारित करवाने के लिए ऐप्रवा अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार आचार्य श्रीकान्त शास्त्री की ओर से दशकों से प्रयास के साथ साथ सम्मानित सासंदों, विधायको एवं अन्य जनप्रतिनिधियो, संपादकों, वरिष्ठ पत्रकारों व विश्वविद्यालयों के माध्यम से सैकड़ों पत्र मा. प्रधानमंत्री, मा. सूचना प्रसारण मंत्री एवं मा. अध्यक्ष भारतीय प्रेस परिषद को जरिए रजिस्ट्री, ईमेल व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मो के माध्यम से भेजा गया है। 


उपरोक्त के संबंध में  तत्कालीन अध्यक्ष, भारतीय प्रेस परिषद, सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति श्री मारकंडे काटजू ने भी पत्रकारों के योग्यता निर्धारित करने की बात रखते हुए गठित समिति को और मजबूती देते हुए जल्द प्रभावी कार्यवाही करने के लिए कहा था। 



जिसके संबंध में वर्तमान PCI की अध्यक्ष ने पत्रकारों के उपरोक्त समस्या को दृष्टिगत रखते हुए इस विषय पर संज्ञान लेकर एक बैठक 14/12/22 को निर्धारित किया है, जिसके लिए #ऐप्रवा परिवार ने उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए जल्द से जल्द योग्यता निर्धारित करने की मांग की है। 


#पत्रकार_एकता_जिंदाबाद

सभी अखबारों को समानता से विज्ञापन जारी हो: शास्त्री





 


(न्यायालय, मानवाधिकार एवं सरकार की मंशा रहती है, सबके साथ न्याय एवं समानता, लघु एवं मझोले अखबारों के साथ भेदभाव क्यों? जिसके लिए ऐप्रवा की ओर से मुख्यमंत्री को पत्र।)


प्रयागराज, ऑल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार आचार्य श्रीकान्त शास्त्री ने बताया कि प्रायः सरकार की जन उपयोगी विकासशील एवं महत्वपूर्ण कार्यों को प्रदेश के लघु व मझौले अखबार शहर से लेकर ग्रामीण तक के जन मानस को बताने एवं उनके पास तक आपकी योजनाओं को पहुंचाने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका रहती हैं। लेकिन विज्ञापन के मामलों में जिम्मेदार लोगों द्वारा जो व्यवहार कुछ चुनिंदा लोगों के साथ किया जाता है वह व्यवहार लघु व मझौले अखबारों के साथ नहीं किया जाता, यह कार्य बहुत ही घृणित एवं निंदनीय है। और सरकार को बदनाम करने की साजिश है, तथा सबका साथ और सब के विकास वाले नारे का अपमान है और डबल इंजन की सरकार द्वारा जिस प्रकार से राष्ट्रहित सर्वोपरि के साथ कार्य किया जा रहा है उसमें उपरोक्त लोगों द्वारा प्रश्नचिन्ह खड़ा किया जा रहा है जो बहुत ही चिंतनीय, सोचनीय एवं निंदनीय है जहां एक देश एक कानून की बात होती हो, वही कुछ नौकरशाहो/तनखइया लोगों द्वारा एक देश दो कानून की स्थिति पैदा किया जा रहा है, जो बहुत ही दुखद है। साथ ही लोकप्रिय एवं जनप्रिय सरकार में किसी को ज्यादा किसी को कम करना सरकार को बदनाम करने की साजिश है।





शास्त्री जी द्वारा यह भी बताया गया कि निम्न सभी मांगों के सम्बन्ध में ऐप्रवा परिवार की ओर से दशको से जरिए रजिस्ट्री पत्र, ईमेल, सोशल मीडिया, अखबार इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से मुख्यमन्त्री, प्रधानमंत्री एवं अधिकारियों से मांग करता चला आ रहा हैं। लेकिन पत्रकारों की इस मांग को अभी तक ठंडे बस्ते में रखा गया है जो बहुत ही खेद का विषय है, जो समाज सबको उजाला दिखाता है उसी को अंधेरा मे रखा गया है। जहां एक ओर देश की न्यायप्रिय सरकार एवं न्यायपालिका व मानवाधिकार आदि की भी यही मंशा रहती है कि हर जगह न्याय के साथ समानता के आधार पर कार्य हो वही दूसरी ओर लघु एवं मझोले समाचार पत्रों के साथ अनदेखी किया जाना अनुचित तथा दुर्भाग्यपूर्ण है।


यहां शास्त्री जी द्वारा पुनः बताया गया है कि यदि इसमे अनदेखी की गयी तो, जिस प्रकार से पीसीआई के गड़बड़ झाले के खिलाफ एवं उ.प्र. प्रेस मान्यता समिति में हो रही देरी के विरुद्ध व पत्रकारों के अन्य समस्याओं के मामलों में ऑल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन परिवार द्वारा न्यायालय से न्याय पाया गया है उसी प्रकार से इसमें भी न्याय पाने के लिए ऐप्रवा परिवार न्यायालय का दरवाजा खटखटायेगा।

हाईकोर्ट ने यूपी प्रेस मान्यता समिति गठित करने के लिए किया डेट फिक्स




[इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिनांक 13 अक्टूबर 22 को कड़ा रुख दिखाते हुए सूचना एवं जनसंपर्क विभाग उत्तर प्रदेश को निर्देश दिया है कि उ.प्र. प्रेस मान्यता समिति गठित कर 15 नवंबर 2022 को कोर्ट को सूचित करें।] 


प्रयागराज। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग उ.प्र. की ओर से दिनांक 16 जून 2020 को प्रेस मान्यता समिति गठित करने के लिए एक विज्ञापन जारी किया गया था, उक्त के संदर्भ में प्रदेश के सभी लोगों के साथ पत्रकारो के मान सम्मान एवं उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए ऑल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन (ऐप्रवा) ने भी उक्त समिति के गठन के लिए दावा किया था। उक्त समिति के गठन में हो रही देरी के सम्बन्ध में ऐप्रवा की ओर से मुख्यमंत्री सहित प्रदेश के आला अधिकारियों को पत्र भेजा गया था जिसमें उत्तर प्रदेश शासन ने ऑल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन (ऐप्रवा) को सम्मिलित करने के लिए एक पत्र निदेशक सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, उ.प्र. को भेजा था। जिसके बावजूद भी कोई कार्यवाही न होने पर, ऐप्रवा की ओर से इलाहाबाद उच्च न्यायालय में फरवरी 2022 में एक याचिका दाखिल की गई जिसमें उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश शासन से मान्यता समिति के गठन के लिए जवाब मांगा जिसमें शासन की ओर से यह बताया गया था कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश में आचार संहिता लागू होने के कारण नई सरकार बनने के बाद 

 प्रेस मान्यता समिति का गठन करने की कार्यवाही कर ली जाएगी। इस पर कोर्ट ने उनसे से सपथ पत्र लेकर यह कहते हुए याचिका निस्तारित किया था कि यदि नयी सरकार बनने के बाद मान्यता समिति गठित नहीं होता तो याची फिर से याचिका दायर कर सकता है। यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज गुप्ता व न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव की खंडपीठ ने दिया था। नई सरकार बनने पर ऐप्रवा के अधिवक्ता संतोष कुमार त्रिपाठी की ओर से अनुस्मारक/स्मरण पत्र शासन को भेजा गया जिसके बावजूद भी उ.प्र.मान्यता समिति का गठन नहीं हो पाया, तत्पश्चात कोर्ट के आदेश के क्रम में पुनः आंल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन (ऐप्रवा) के अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार आचार्य श्रीकांत शास्त्री की तरफ से याचिका दाखिल किया गया। जिसमें न्यायमूर्ति मनोज मिश्र एवं न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खण्डपीठ ने पहले तो सरकार से पूछा था की अभी तक उ.प्र. प्रेस मान्यता समिति का गठन हुआ है कि नहीं और साथ ही नियमावली के जवाब मांगते हुए तिथि नियत कर थी। जिसमें विभाग द्वारा हिला हवाली किया जाता रहा। जिसको दृष्टिगत रखते हुए न्यायमूर्ति मनोज मिश्र एवं न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने दिनांक 13 अक्टूबर 22 को कड़ा रुख दिखाते हुए सूचना एवं जनसंपर्क विभाग उत्तर प्रदेश को सख्त निर्देश देते हुए कहा है कि उत्तर प्रदेश प्रेस मान्यता समिति को गठित कर दिनांक 15 नवंबर 2022 को कोर्ट को सूचित करें।





इस प्रकरण को सूचना विभाग ने इसी प्रकार से लगभग 28 महीनों से लटका रखा है जिस पर मा. उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने अपने तल्ख तेवर दिखाते हुए समिति गठित कर न्यायालय में सूचित करने को कहा है।

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