हाईकोर्ट ने यूपी प्रेस मान्यता समिति गठित करने के लिए किया डेट फिक्स




[इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिनांक 13 अक्टूबर 22 को कड़ा रुख दिखाते हुए सूचना एवं जनसंपर्क विभाग उत्तर प्रदेश को निर्देश दिया है कि उ.प्र. प्रेस मान्यता समिति गठित कर 15 नवंबर 2022 को कोर्ट को सूचित करें।] 


प्रयागराज। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग उ.प्र. की ओर से दिनांक 16 जून 2020 को प्रेस मान्यता समिति गठित करने के लिए एक विज्ञापन जारी किया गया था, उक्त के संदर्भ में प्रदेश के सभी लोगों के साथ पत्रकारो के मान सम्मान एवं उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए ऑल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन (ऐप्रवा) ने भी उक्त समिति के गठन के लिए दावा किया था। उक्त समिति के गठन में हो रही देरी के सम्बन्ध में ऐप्रवा की ओर से मुख्यमंत्री सहित प्रदेश के आला अधिकारियों को पत्र भेजा गया था जिसमें उत्तर प्रदेश शासन ने ऑल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन (ऐप्रवा) को सम्मिलित करने के लिए एक पत्र निदेशक सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, उ.प्र. को भेजा था। जिसके बावजूद भी कोई कार्यवाही न होने पर, ऐप्रवा की ओर से इलाहाबाद उच्च न्यायालय में फरवरी 2022 में एक याचिका दाखिल की गई जिसमें उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश शासन से मान्यता समिति के गठन के लिए जवाब मांगा जिसमें शासन की ओर से यह बताया गया था कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश में आचार संहिता लागू होने के कारण नई सरकार बनने के बाद 

 प्रेस मान्यता समिति का गठन करने की कार्यवाही कर ली जाएगी। इस पर कोर्ट ने उनसे से सपथ पत्र लेकर यह कहते हुए याचिका निस्तारित किया था कि यदि नयी सरकार बनने के बाद मान्यता समिति गठित नहीं होता तो याची फिर से याचिका दायर कर सकता है। यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज गुप्ता व न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव की खंडपीठ ने दिया था। नई सरकार बनने पर ऐप्रवा के अधिवक्ता संतोष कुमार त्रिपाठी की ओर से अनुस्मारक/स्मरण पत्र शासन को भेजा गया जिसके बावजूद भी उ.प्र.मान्यता समिति का गठन नहीं हो पाया, तत्पश्चात कोर्ट के आदेश के क्रम में पुनः आंल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन (ऐप्रवा) के अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार आचार्य श्रीकांत शास्त्री की तरफ से याचिका दाखिल किया गया। जिसमें न्यायमूर्ति मनोज मिश्र एवं न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खण्डपीठ ने पहले तो सरकार से पूछा था की अभी तक उ.प्र. प्रेस मान्यता समिति का गठन हुआ है कि नहीं और साथ ही नियमावली के जवाब मांगते हुए तिथि नियत कर थी। जिसमें विभाग द्वारा हिला हवाली किया जाता रहा। जिसको दृष्टिगत रखते हुए न्यायमूर्ति मनोज मिश्र एवं न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने दिनांक 13 अक्टूबर 22 को कड़ा रुख दिखाते हुए सूचना एवं जनसंपर्क विभाग उत्तर प्रदेश को सख्त निर्देश देते हुए कहा है कि उत्तर प्रदेश प्रेस मान्यता समिति को गठित कर दिनांक 15 नवंबर 2022 को कोर्ट को सूचित करें।





इस प्रकरण को सूचना विभाग ने इसी प्रकार से लगभग 28 महीनों से लटका रखा है जिस पर मा. उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने अपने तल्ख तेवर दिखाते हुए समिति गठित कर न्यायालय में सूचित करने को कहा है।

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पत्रकार हितों को लेकर जारी रहेगी लड़ाई: आचार्य श्रीकांत शास्त्री

 


भदोही। ऑल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन (ऐप्रवा) के अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार आचार्य श्रीकांत शास्त्री ने कहा है कि पत्रकार हितों के लिए संगठन के स्तर से जारी लड़ाई अब उच्च न्यायालय तक पहुंच गई है उच्च न्यायालय में पत्रकार ही तो के मामलों को लेकर याचिका दाखिल की गई है जिसमें हाईकोर्ट ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) को नोटिस जारी किया है। एसोसिएशन ने प्रदेश मान्यता समिति गठित ना होने का भी मामला उठाया है। जिसमें भी मा. उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने उ.प्र. प्रेस मान्यता समिति गठित करने के लिए आदेश जारी कर चुका है, सूचना विभाग द्वारा समिति गठित ना किये जाने पर उच्च न्यायालय ने पुनः नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।


प्रयागराज से काशी जाते समय भदोही जिले के चकपरौना गोपीगंज में वरिष्ठ पत्रकार मिथिलेश द्विवेदी ने आचार्य श्रीकांत शास्त्री का स्वागत किया। एसोसिएशन के अध्यक्ष श्रीकांत शास्त्री ने कहा कि प्रदेश एवं देश के पत्रकारों के हितों की लड़ाई को लेकर ऐप्रवा लगातार आवाज उठाता चला आ रहा है। अब पत्रकार हितों की यह लड़ाई इलाहाबाद उच्च न्यायालय तक पहुंच चुकी है। पत्रकारों के हितों से जुड़े मामले में हाईकोर्ट ने पीसीआई को नोटिस जारी की है एवं प्रेस मान्यता समिति गठित करने के लिए उ.प्र. सरकार को आदेशित किया है। साथ ही श्री शास्त्री जी के द्वारा यह भी बताया गया कि जिस प्रकार से ऐप्रवा के अथक प्रयास से पत्रकारों को पेंशन तथा स्वास्थ्य सुविधाएं देने की मांग को स्वीकारा गया, जिसके लिए ऐप्रवा परिवार सरकार का हार्दिक स्वागत करता है।


इस दौरान भदोही के वरिष्ठ पत्रकार मिथिलेश द्विवेदी ने आचार्य श्रीकांत शास्त्री के पत्रकार हित की लड़ाई को पत्रकारिता के क्षेत्र में मील का पत्थर बताया। कहा कि आचार्य श्रीकांत शास्त्री का यह संघर्ष पत्रकारिता जगत के इतिहास के पन्नें में लिखा जाएगा। इस दौरान प्रयाग उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता संतोष कुमार त्रिपाठी, डा. प्रमोद शुक्ला, सुबोध त्रिपाठी, योगेश जी, वी.के. मिश्र समेत अन्य कई लोग मौजूद थे।